आज हिंदी मोटिवेशन स्टोरी ( hindi motivation story ) मैं हम आप को एक ऐसी कहानी बताने जा रहे हैं जो सिर्फ मोटिवेट ही नहीं बल्कि आप को जिंदगी मई भी सोचने के लिए मजबूर कर देगा |
ये कहानी है तीन दोस्तों की जिनका नाम रमेश, लकी और जीत होता है |
ये सब एक गाँव मैं रहते हैं | गाँव के पास एक नदी होती है | शाम को तीनों दोस्त नदी पे जाने का प्लान बनाते हैं |
लकी : चलो यर नदी पे चलते हैं |
रमेश : अभी !
लकी: हाँ दर क्यों रहा है |
लकी और जीत दोनों हस पढ़ते हैं |
रमेश : डर नहीं रहा हूँ | शाम हो रही है थोड़ी देर मैं रात, वापस आने मैं दिक्कत होगी |
जीत : क्या दिक्कत होगी | चल एक खेल खेलेंगे वहां जा के |
रमेश : खेल ?
जीत : हाँ यार !
लकी : देख फिर से डर गया |
रमेश : यार, ठीक है चलो |
तीनो दोस्त टोर्च ले कर नदी पर जाते हैं |
वहाँ पहुँच कर रमेश बोलता है।
रमेश : लो पहुँच गए अब बोलो कोन सा खेल है |
जीत : अब शुरू करते एक खेल | लकी निकल सामान |
लकी जेब से तीन अलग रंग के दिये निकल ता है |
लकी : ये लो |
जीत : बाकि का सामान |
लकी : वो भी है |
लकी अपनी दूसरी जेब से एक तेल की शोती बोतल, माचिस और रुई निकलता है |
जीत: ला मुझे दे , अब सब से पहले अपना दिया चुन लो |
रमेश : मैं तो लाल रंग नहीं लूँगा |
जीत : ड़रपोक लाल रंग है कोई खून नहीं |
रमेश : मुझे तो सफ़ेद रंग पसंद है |
लकी : मुझे लाल रंग का दिया दे दो |
जीत : ठीक है फिर मैं हरे रंग का दिया ले लेता हुँ |
तीनो दोस्त अपने दिए मैं तेल डाल कर उसमें बाटी डाल लेते हैं और जला लेते हैं |
रमेश: मैंने तो अपना दिया जला लिया |
जीत : मेरा भी बस हो हे गया , लो मैंने भी जला लिया |
लकी : मेरा दिया भी जल गया |
रमेश : अब बताओ भी दो आगे करना क्या है |
जीत : अब इन दीयों को हम नदी मैं डालेंगे और जिस का दिया बिना बुझे जायदा दूर जायेगा वो ये खेल जीत जायेगा |
लकी : और जितने वाले को क्या मिलेगा |
जीत : जीतने वाले को हारने वाले एक बढ़िया सी पार्टी देंगे |
तीनों अपने दिये नदी मैं डाल देते हैं |
थोड़ी दूर जाने पर रमेश का दिया पानी मैं बुझ जाता है |
रमेश : अरे यार मेरा दिया बुझ गया | मेरे साथ हमेशा ऐसा हे होता है |
लकी और जीत ख़ुशी से उछल पढ़ते हैं |
लकी : अब मेरा और जीत का दिया रह गया |
कुछ देर बाद लकी का भी दिया पानी मैं डूब जाता है |
लकी : मेरा भी पानी मैं गया | मैं हार गया |
जीत : मैं जीत गया, मैं जीत गया |
जीत ख़ुशी से उछल पढता है |
वहीँ दूर खड़ा एक फ़कीर ये सब देख रहा होता है और वो भी ये देख कर हस्ता है |
जीत उसकी तरफ देखता है और फ़कीर जीत के पास आ जाता है |
फ़कीर : तू इतना खुश को हो रहा है |
जीत: क्यों की मैं जीत गया ये खेल |
फ़कीर : अच्छा ज़रा देख उधर |
जीत अपने दिए की तरफ देखता है और उसका भी दिया पानी मैं डूब जाता है |
फ़कीर : सब बारी बरी से इस दुनिया से जायेंगे बस देखना ये है कोण कब कैसे इस दुनिया से रुक्सत होगा |
कर्मी आपो अपनी के नेड़े के दूर , कर्मी आपो अपनी के नेड़े के दूर ये कहता हुआ वो फ़कीर वहां से चले जाता है |
कहनी का सार : हमें अपनी जिंदगी मैं हमेशा आगे बढ़ने के ही बारे मैं नहीं सोचना चाहिए, क्यों के आगे बढ़ने की इस दौड़ मैं कहीं अपने अच्छे बुरे करम को न भूल जाएँ | असल मैं हमें जिंदगी मैं चाहिए क्या ये भी ध्यान रखना चाहिए |