Mazdoor Aur Sukhe ki Ladai
आज की इस ( Mazdoor Aur Sukhe ki Ladai ) कहानी को पढ़ने के बाद आप को ये अंदेशा होगा की हमें सिर्फ कढ़ी मेहनत ही नहीं बल्कि बुद्धिमानता की भी जरूरत है खास कर आज के दौर मैं |
जी हाँ हमें बुद्धिमानता जिसे स्मार्ट वर्क भी कहते हुए आपने कई बारे सुना भी होगा |
मज़दूर और उसका परिवार
दरअसल ये कहानी है एक मज़दूर और उसके परिवार की | जो गांव मैं रहता था | उसके परिवार मैं उसकी धर्म पत्नी और एक बेटा था |
वो रोज़ खेत मैं मज़दूरी करने जाता था | शाम को मज़दूरी कर के जो पैसे कमाता उससे उसका घर परिवार चलता था |
लकिन एक दिन गांव मैं सूखा पढ़ गया ऐसे मैं उसको मज़दूरी का काम मिलना बंद हो गया | घर का खर्च चलाना दिन प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा था |
मज़दूर और जमींदार की भेंट
एक दिन उसको ज़मीदार ने बुलाया और बोला “तुम तो जानते हो की इस बार सूखा पढ़ने की वजह से खेतों मैं काम नहीं है “
“और अब तो मेरे घर पर भी पानी किलत आन पढ़ी है “
मज़दूर बोला “जी जमींदार जी ये बात तो मैं भी जान ता हुँ पर अब मैं आप के लिए कर ही क्या सकता हुँ भला “
ज़मींदार ने कहा “क्या तू मेरे लिए गांव के बहार वाले तालाब से रोज़ पानी भर कर ला सकता है मैं तुझे इस की मज़दूरी दे दिया करूंगा “
मज़दूर पहले सोच विचार मैं डूब गया क्यों की वो तालाब गांव से थोड़ा दूर था और इस तेज़ गर्मी के मौसम मैं मुश्किल भी | पर उसने अपने परिवार की खातिर ये काम करने के लिए हाँ कर दिया |
गांव मैं लोगो ने उसे समझाया की ये काम कर के तुम बीमार हो सकते हो पर वो किसी की भी नहीं माना और दिन रत ये काम करने लगा |
थोड़े दिनों बाद उसे दुसरे ज़मींदारों ने भी पानी मागँवाना शुरू कर दिया | इस काम से उसको आमदनी तो अच्छी हो रही थी पर उस की सेहत खराब होने लग गयी |
मज़दूर का गिरना
एक दिन पानी को ढ़ोते हुए वो गिर जाता है | वो ज़ख़्मी हो कर घर पर ही रहने के लिए मज़बूर हो जाता है |
अब घर की ज़िम्मेदारी कोण पूरी करेगा ये सोच कर उसकी तबियत और ख़राब हो जाती है | तब उसका बेटा उसके पास आता है और कहता है “पिता जी आप घबराइये मत मैं सब सम्भाल लूँगा ” ये कहके वो आपने पिता का सामान लेता है और काम पे चल पढता है |
आब मज़दूर का बेटा गाओं मैं पानी को घर घर देना शुरू कर देता है | वह देखता है की सूखे की वझे से क्या सिर्फ इस ही गांव मैं ही मुश्किल नहीं होगी और भी गांव मैं इस की किलत होगी |
फिर मज़दूर का बेटा बाकी गाओं मैं भी पानी के वितरण का काम शुरू कर देता है | पर वो भी अपनी सोच के मुताबिक जायदा काम नहीं कर पा रहा था | मज़दूर को बेटा पढ़ा लिखा और बुद्धिमान भी था |
उसने तालाब से पाइप लगाना शुरू किया और देखते ही देखते उसने पाइप को गाओं तक ले आया जहाँ से उस को पानी के वितरण मैं कम वक़्त लगने लगा |
अब ये काम उसने दुसरे गांव मैं भी किया और ज़्यदा पैसे कामने लगा | ये देख उसके बीमार पिता हैरान रह गए | मज़दूर के बेटे ने अपने पिता का इलाज भी अच्छे तरीके से कराया और घर परिवार और लोगों मैं भी उसकी खूब प्रश्नासा होने लगी |
तो दोस्तों इस कहानी ( Mazdoor Aur Sukhe ki Ladai ) से हमें ये पता चलता है की हमें हार्डवर्क( Hard work ) के साथ स्मार्ट वर्क (Smart Work) भी करना चाहिए |
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