Lomdi Aur Khatte Angoor

नमस्ते दोस्तों। हम सभ ने अपने बचपन में लोमड़ी और खट्टे अँगूर Lomdi Aur Khatte Angoor वाली कहानी जरूर सुनी और पड़ी होगी। आज  मैं इसी कहानी के बारे मे बात करने जा रहा हु। जो कहानी हम ने बचपन मे पढ़ी थी। उस कहानी में हमें कोई प्रेरणा नहीं मिलती थी। हम Hindi Motivation Story के मध्यम से लोमड़ी और खट्टे अँगूर वाली कहानी का आगे का भाग बताएंगे। अगले भाग में आप को एक बहुत जबरस्त प्रेरणा मिलेगी। जो आप को प्रेरणा से भर देगी।     

लोमड़ी और खट्टे अँगूर ( Lomdi Aur Khatte Angoor ) : पहला भाग 

इस लोमड़ी और खट्टे अँगूर वाली कहानी कुछ ऐसे थी की एक लोमड़ी जंगल में खाने की तालाश में चली जा रही थी। अचानक उस की नज़र एक पेड की ऊपर अँगूरों की बेल पर पड़ती है। अंगूर देखने में मीठे और रसीले लग रहे थे। उन अंगूरों को देखकर लोमड़ी के मुँह में पानी आ जाता है। वह सोचती है की अंगूर बहुत मीठे होंगे मैं इन को खा कर अपनी भूख मिटा सकती हुँ। 

अँगूरों को खाने के लिया लोमड़ी जोर से कूदना शुरू कर देती है। पर अँगूरों की बेल पेड के ऊपर काफी उचाई पर होती है। लोमड़ी कई बार अँगूरों की बेल तक पहुंचने का प्रयास करती है। पर वह कई बार छलांग लगाने और भूखी होने की वजह से अपनी हिम्मत हार जाती है। 

अब उस के शरीर मे और अधिक ऊर्जा नहीं बचती। और यह कहकर वहाँ से चली जाती है की “अँगूर खट्टे है” ।   

लोमड़ी और खट्टे अँगूर ( Lomdi Aur Khatte Angoor ) : दूसरा भाग

लोमड़ी और खट्टे अँगूर ( Lomdi Aur Khatte Angoor ) की असली कहानी तो यहां से शुरू होती है। जब लोमड़ी की यह बात जंगल के जानवरो मे आग की तरह फ़ैल गई की लोमड़ी अँगूरों तक नहीं पहुंच सकी। जंगल के जानवरो को यह सही मौका लगा लोमड़ी का मजाक उड़ने का। जंगल के जानवर हम इंसानो जैसे इस मोके को लोमड़ी के मज़े लिए बिना भला अपने हाथों से कैसे जाने देते। 

जंगल के जानवर जैसे बन्दर, शेर, चीते, हाथी, चिड़िया, भालू आदि ने लोमड़ी का बहुत मजाक उड़ाया। बन्दर ने कहा की “कितना आसान काम था यह लोमड़ी यह भी नहीं कर सकी”। हाथी ने कहा “इतनी कम उचाई पर अँगूर लगे हुए थे वहाँ तक भी नहीं कूद पाई”। सभी जानवर जोर जोर से हसने लगते हैं । अब तो बात इतनी बढ़ चुकी थी की लोमड़ी को देखते ही जानवर ठहाके लगाना शुरू कर कर देते थे। 

मन उदास होना

लोमड़ी को यह बात बहुत बुरी लगी उस का मन उदास हो गया। बेचारी लोमड़ी चुप-चाप यह सब सुनती रही। और अपनी माँद मे चली गई। लोमड़ी सारी रात उदास बैठी रही और जंगल के जानवरो द्वारा उड़ाए गए मजाक के बारे में ही सोचती रहती है। 

उस ने अपने मन में ठान लिया की जंगल के जानवरो से हुई इस बेइजती का बदला लेकर रहेगी। जो जानवर लोमड़ी के अंगूरों तक ना पहुँच पाने का मजाक उडा रहे थे। वह उन को अंगूरों तक पहुंच कर दिखा देगी। 

वह अगली सुबह उठती है और जंगल में चली जाती है और एक पेड देखती है वह सोचती है की अगर वह पेड पर चढ़ना सीख जाये तो अँगूरों को आसानी से खा सकती है। जंगल के जानवरों में उस की खोई हुई इज्ज़त दुबारा वापिस आ सकती है। 

बस फिर क्या था लोमड़ी रोज़ सुबह जल्दी उठती और पेड़ों पर चढ़ने का अभ्यास करती। लोमड़ी कई बार पेड़ों पर चढ़ते हुए नीचे भी गिरी पर उस ने अपने आतम विश्वाश को कम नहीं होने दिया। मन मे पक्का इरादा बना कर वह रोज पेड़ो पर चढ़ने का अभ्यास करती। 

लोमड़ी की परीक्षा

कुछ दिनों बाद वह पेड़ों पर चढ़ना सीख जाती है। अब लोमड़ी सोचती है की अब समय आ गया है की जंगल के सारे जानवरों को अँगूरों को खा कर दिखने का। लोमड़ी बंदर के पास जाती है और बोलती है कल वह जंगल के सारे जानवरों को अंगूर खा कर दिखाएगी। 

बंदर जल्द ही सारे जंगल मे यह बात फैला देता है। और अगले दिन सारे जानवर उस पेड़ के पास आ जाते हैं। कुछ देर बाद लोमड़ी भी वहाँ आ जाती है। और पेड पर चढ़ना शुरू कर देती है। 

जब वह उस ऊँचे पेड़ पर चढ़ती है तब वह कुछ देर बाद फिर से गिर जाती है और यह देख सरे जानवर फिर से हस पढ़ते हैं | 

लोमड़ी फिर से प्रयास करती है और वह पेड़ पर चढ़ते चढ़ते फिर गिर जाती है | जानवर यह देख फिर हस पढ़ते हैं | 

तब लोमड़ी उस ऊँचे लम्बे  पेड़ को ध्यान से देखती है तब उसे पता चलता है की इस पेड़ पर चढ़ना बाकि पेड़ों से मुश्किल है जिस वझे से वह इस पेड़ पर नहीं चढ़ पा रही | 

लकिन वह हार नहीं मानती और वह क्या देखती है की उस पेड़ के साथ वाला पेड़ इतना ऊँचा नहीं है और न हीं मुश्किल | वह उस साथ वाले पेड़ पर चढ़ उस उंच्चे लम्भे पेड़ पर छलांग मार देती है और अँगूरों तक पहुँच जाती है | 

ये देख सब हैरान हो जाते हैं और लोमड़ी की तारीफ करने लग जाते हैं | 

लोमड़ी और खट्टे अँगूर ( Lomdi Aur Khatte Angoor ) की कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है की हमें अपनी जीवन मैं कभी हार नहीं माननी चाहिए और सफल होने के लिए सदैव कोशिश करती रहनी चाहिए | 

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