आज की कहानी बड़ी हे रोचक और समाज की सोच पर कटाक्ष है। जी हाँ आज की ये कहानी है एक कूड़ा उठाने वाले की। हम Hindi motivational story में आप के लिए कहानी लेकर आए है, उस का नाम है कूड़े वाला ( Kude Wala ).
कूड़ा उठाने वालो का जीवन
हम सभी ने देखा है की रोज़ खास कर शहरों घर घर से कूड़ा उठाने कूड़े वाले आते हैं, जी हाँ इसी नाम से उन्हें बुलाया जाता है। ये बात है ऐसे ही एक कूड़े वाले की जो रोज़ की तरह घर से कूड़ा उठता। उस कुढ़े वाले की हालत कुछ अच्छी नहीं थी। इसलिए लोग उस से थोड़ी दुरी भी बना के रखते थे। पर कुछ लोग उसे देख कभी उसको खाने को देते तो कभी कपडे और जूते दे देते। लेकिन फिर भी उसकी हालत हमेशा एक जैसी रहती।
कूड़ा उठाने वालो की मदद
एक दिन उसी मोहले के रहने वाले दलजीत ने उसे देखा और उसे उस पर बढ़ी दिया आयी। उसने उसे खाने को सामान दिया। कुछ दिन उसने भी उसे अपने कुछ गरम कपडे दिए क्यों की सर्दियाँ आने वाली थी। थोड़ी दिनों बाद दलजीत ने देखा की उसकी हालत और कपडे वैसे ही हैं , उस मैं कुछ सुधार नहीं है।
एक दिन जब वो कूड़े वाला ( Kude Wala ) जब कूड़ा ले के जा रहा था तब मोहले कुछ लोग बातें कर रहे थे “इस कुढ़े वाले की हालत तो देखो मोहले वालों से इतना कुछ ले के जाता है पर ऐसे हे रहता है जब भी देख लो” उस के जवाब मैं दूसरे ने कहा ” ये लोग तो होते ही ऐसे हैं इनको जितना भी दे दो ऐसे रहना पसंद करते हैं।
यह बातें सुन दलजीत ने मन ही मन सोचा की “मैंने भी इसकी मदद की पर इस मैं कोई सुधर को नहीं आता शायद ये लोग सही कह रहे हैं “.
फिर एक दिन दलजीत के पडोसी ने भी उस कूड़े वाले की कपडे दे कर मदद की ये सब दलजीत देख रहा था तभी दलजीत की मन मई ये आया की आज वो जरूर देखेगा की ये कूड़े वाला आखिर इन कपड़ों क्या करता है जो लोग उसे देते हैं, वो इन कपड़ों को पहनता को नहीं आखिर जो मैंने(दलजीत) भी उसे दिए।
कूड़े वाले ( Kude Wala ) का पीछा करना
ये सोच कर उस कुढ़े वाले का पीछा करता है। दलजीत देखता है की कुढ़े वाला इन कपड़ों को बेचना शुरू कर देता है , दलजीत मन मै सोचता है की जब ये कपडे बेच कर उठेगा तब वो उसे करि कोटि सुनाएगा और उसकी ये बात सरे मोहले को बताएगा की जिस की आप मदद करते हो वो आप की दिए हुई मदद को बाजार मैं जा के बेच देता है।
दलजीत के मन मैं सवाल आया की मैंने तो इसे खाने का सामान भी दिया था उसका क्या किया होगा की वो भी बेचा होगा, ये सोच दलजीत उस कुछ नहीं कहता क्यों की वो जाना चाहता है खाने के सामान को कहाँ बेचा होगा उसके लिए दलजीत उस कुढ़े वाले को अगले दिन फिर से खाने का सामान देता है और फिर उस का पीछा करने लगता है। इस बार जो दलजीत द्रिशय देखता है उस को देख उस के पैरों टेल जमीं ही खिसक जाती है।
कूड़े वाले ( Kude Wala ) की सच्चाई
वो कूड़े वाला ( Kude Wala ) वो खाने का सारा सामान ले कर एक शोते से घर मैं जाता हैं जहाँ बहुत शोते बचे होते हैं, जो मानो बस उस कुढ़े वाले का इंतज़ार कर रहे हों।
कूड़े वाला उन बच्चों को प्यार से बुलाता है और कहता है “देखो आज तुम्हारे लिए फिर से तुम्हारे एक चाचा ने कए भेजा है, वो सारा खाना वो उन बच्चों को खिलता है।
ये देख दलजीत के मन मैं अत है की इन बच्चों की माँ कहाँ हैं , वो वहां रहने वाले आस पास के लोगों के पास जा कर जब पूछता है तब उसे पता चलता है की उस कुढ़े वाले की अभी शादी ही नहीं हुई है और ये सब बचे तो उसे कूड़े के ढेर मैं मिले हैं। ये सुन दलजीत की आँखे भर आती हैं। अब दलजीत उस कुढ़े वाले हर रोज़ कुछ न कुछ देता रहता है और अपने मोहले वालों को भी इसकी असल सचाई बताता है।
असल मैं दोस्तों ये कूड़े वाला ( Kude Wala ) कूड़े वाला न हो कर देवता है जो इन भगवन के रूप मैं बच्चों को संभल रहा है इन की परवरिश कर रहा है। कुढ़े वलए तो वो लोग हैं जो इन बच्चों को जनम दे कर रस्ते मैं या कुढ़े के ढेरों पर शोड जाते हैं।